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जाप की परंपरा और महत्व

ईश्वरोन्मुख होने की प्रक्रिया में वैखरी , मध्यमा , पश्यन्ती और परा श्रेणियों में बटे जापों में किस मंत्र को करना है - यह दुरूह कार्य हम बेहद सुगमता से करते है | बीज मंत्र , गृह मंत्र एवं विभिन्न इष्ट मंत्रों के किस समुच्चय (सेट ) से आपकी चर्तुदिक प्रगति एवं उन्नित होगी - हम उसे सुझाते हैं | मंत्र करने के बाद भी यदि चित्त की शांति नहीं हैं एवं कार्यवाधा हैं - तो क्या फायदा ||

हमारे द्वारा दी हुई रिपोर्ट में मंत्रो के ऊपर विशेष फोकस किया जाता हैं | साधना के विभिन्न सोपानों में मंत्रजाप का सर्वप्रथम स्थान हैं | माला पर १०९वी मनका को सुमेरू, बिंदू, स्तूपा या गुरु मनका कहा जाता है । गिनती हमेशा सुमेरु के बगल में एक मनका के साथ शुरू होनी चाहिए । हिंदू, वैदिक परंपरा में, यदि एक से अधिक दोहराव की माला की जानेवाली हो, तो व्यक्ति इसे पार करने के बजाय सुमेरू तक पहुंचने पर दिशा बदलता हैं ।
कई स्पष्टीकरण हैं कि क्यों १०८ मनका हैं, जिसमें संख्या १०८ मनका कई हिंदू और बौद्ध परंपराओं में विशेष धार्मिक महत्व रखते हैं ।
२७ नक्षत्र X ४ पद (भागों) = १०८
१२ राशि चक्रघरों X ९ ग्रह = १०८
उपनिषद या वेदों के ग्रंथों = १०८
इस प्रकार जब हम संख्या १०८ पढ़ते या सुनाते हैं, तो हम वास्तव में पूरे ब्रह्मांड को याद कर रहे हैं । यह हमें इस तथ्य की याद दिलाता है कि ब्रह्मांड स्वयं सर्वव्यापी है, यह स्वयं की सहज प्रकृति है।

विशेष परिस्थितयों में योग्य पंडितों के द्वारा मंत्र लेखन का कार्य कराया जाता हैं | विशेष जानकारी हेतु कृपया हमारी इ-मेल अथवा व्हाट्सएप्प नंबर पर संपर्क करें |
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